प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी को एक निश्चित परिप्रेक्ष्य और कलात्मक आधर दिया। उन्होने कहानी के स्वरूप को पाठकों की रुचि, कल्पना और विचार शक्ति का निर्माण करते हुए विकसित किया है । उनकी कहानियों का भाव - जगत् आत्मानुभूत अथवा निकट से देखा है। कहानी - क्ष...
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